समस्याओं को सुलझाने के लिए चार प्रभावी तरीके
ललिता पवार, मराठी और हिंदी फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री, बेहतरीन कलाकार और बेहद संजीदा इंसान । जब ललिता ने फ़िल्मी जगत में कदम रखा, तब सिर्फ एक ही सपना था, हीरोइन बनना । विपरीत परिस्थितियों से वह झूझ रही थी, आगे बढ़ने के लिए जद्दोजहद चल रही थी और हीरोइन के तौर पर खुद को स्थापित करने का प्रयास हो रहा था । शुरुवाती दौर में काम मिलना थोड़ा कठिन था, फिर भी सपनों ने उड़ान भरी थी, लगन एवं समर्पण के साथ हर एक कदम उठाया जा रहा था ।
If you want to read the same article in English, please click here.
ललिता दिखने में बेहद खूबसूरत थी एवं उनकी एक्टिंग भी बेहतरीन थी । धीरे-धीरे सपना साकार होने लगा, आरंभिक सफलता मिलने लगी और हीरोइन के तौर पर फिल्मों में काम भी मिलने लगा । ललिता बेहद खुश थी, क्योंकि जो चाहा था वह मिल रहा था । उन्हें बेहद अच्छा लग रहा था, अब सिर्फ थोड़े से प्रयास की और आवश्यकता थी जिससे बॉलीवुड में वह मशहूर अभिनेत्री के तौर पर स्थापित हो सकती ।
वह ८० का दशक था । हिंदी फिल्मों की दुनिया में भगवान दादा ने अभिनेता और निर्माता के तौर पर एक ऊंचा स्थान हासिल किया था । भगवान दादा फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम थे और उनकी एक फिल्म में ललिता को अभिनेत्री के तौर पर काम मिला । ललिता का सपना साकार हो चुका था, वह भगवान दादा की अभिनेत्री बनी थी । भगवान दादा की फिल्म में काम मिलना और वह भी अभिनेत्री के तौर पर यह खुद में एक बड़ी उपलब्धि थी ।
फिल्म की शूटिंग शुरू हुई । फिल्म में एक सीन था, जिस में भगवान दादा हीरोइन को यानी ललिता पवार को चांटा मारते हैं । इस सीन की शूटिंग चल रही थी, दो तीन री-टेक हुए पर सीन कुछ जम नहीं रहा था । अगले टेक में भगवान दादा ने एक और चांटा मारा, दुर्भाग्य से चांटा इतना जोरदार था कि ललिता पवार वहीं गिर गयीं और उनके कान से खून बहने लगा । फिल्म के सेट पर ही तुरन्त इलाज शुरू हुआ । इसी इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा दी गयी गलत दवा के चलते ललिता पवार के शरीर के दाहिने भाग को लकवा मार गया । इसी लकवे की वजह से उनकी दाहिनी आँख पूरी तरह से सिकुड़ गयी और उनकी सूरत हमेशा के लिए बिगड़ गयी ।
इस घटना के चलते ललिता पवार के अभिनेत्री बनने के सपने का अंत हो चुका था । सामने अंधेरा छाया हुआ था । सब कुछ खतम हो चुका था । कई बार जीवन में एक ऐसा मोड़ आता है, जब निराशा घेर लेती है, ज़िन्दगी दर्दनाक बन जाती है । ऐसा महसूस होता है, जैसे कि सब कुछ रुक चुका है, सपने टूट चुके हैं और आगे बढ़ने के रास्तें खतम हो चुके हैं । जिन सपनों को लेकर चले थे, वही सपने बोझ बन जाते हैं और सपनों के टूटने का दर्द तकलीफ देने लगता है । ना आगे बढ़ सकते हैं और ना पीछे लौट सकते हैं, ज़िन्दगी अधर में लटक जाती है । ज़िन्दगी नर्क बनने लगती है और सपने देखने का दुस्साहस टूटने लगता है । जब पीछे मुड़कर देखते हैं, तो अधूरे सपनों के सिवाय कुछ दिखाई नहीं देता और जब आगे देखते हैं, तो सिर्फ और सिर्फ घना अंधेरा दिखाई देता है ।
इन परिस्थितियों में भी कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनको आस होती है, सपनों से गहन प्रेम होता है और हार ना मानने का जज्बा होता है, ऐसे लोगों के लिए एक नया दरवाजा खुलता है, एक नया रास्ता निर्मित होता है, एक नया भविष्य पुकारने लगता है और जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगता है, इस तरह एक नयी दिशा में सफर शुरू होता है ।
अब जो परिस्थिति या समस्या ललिता के सामने थी, उससे किस तरह से निपटा जा सकता था?
ललिता के सामने सिर्फ दो ही विकल्प बचे थे । पहला, एक्टिंग के केरियर को समाप्त कर देना, क्योंकि वैसे भी हीरोइन के तौर पर अब उन्हें काम मिलना लगभग असंभव था । दूसरा, कोई अन्य जॉब करना, जिससे रोजी-रोटी कमाई जा सके ।
इन हालातों में भी ललिता ने हार नहीं मानी, उन्होंने तकदीर के साथ अपनी लड़ाई जारी रखी । धीरे-धीरे दो विकल्पों के अलावा एक तीसरा विकल्प खुलने लगा । उन्हें फिल्मों में काम मिलने लगा, एक विलेन के तौर पर । ललिता पवार ने फिल्मों में सख्त किरदारों को पर्दे पर उतारना शुरू किया, इन सख्त किरदारों में उन्होंने जान डाल दी और एक क्रूर सास के तौर पर उन्हें पहचान मिलने लगी । उनका बिगड़ा हुआ चेहरा खलनायक की भूमिकाओं के लिए पसंद किया जाने लगा । इस तीसरे विकल्प से उन्हें एक्टिंग करने का मौका मिलता गया, एक अच्छे एक्टर के तौर पर उनके काम की सराहना होने लगी और ज़िन्दगी ने एक नयी राह पकड़ ली ।
आमतौर पर ज़िन्दगी में आने वाली समस्याएँ दो प्रकार की होती है । १. सिंपल प्रोब्लेम २. कॉम्प्लेक्स प्रोब्लेम ।
१. सिंपल प्रोबलम - जिन्हें सिंपल प्रोबलम कहा जाता है, उन समस्याओं के कुछ गिने चुने समाधान होते हैं और समस्याओं को सुलझाने के लिए कुछ तय प्रक्रियाएँ होती हैं । जितना आप इन समस्याओं के बारे में सोचते हैं, निर्मित होने वाले समाधान उतने ही कम होते जाते हैं । अंत में आप एक सटीक समाधान पर पहुँच पाते हैं ।
२. कॉम्प्लेक्स प्रोबलम - कुछ समस्याएँ कॉम्प्लेक्स या जटिल होती है । इस प्रकार की समस्याएँ सिंपल समस्याओं से पूरी तरह से भिन्न होती हैं । जैसे-जैसे आप इन समस्याओं के बारे में सोचने लगते हैं, वैसे-वैसे आप समाधान के साथ साथ अपनी धारणाओं पर, अपने पूर्वाग्रहों पर, अलग-अलग विकल्पों पर, जिस तरह से आप समस्या का विचार कर रहे हैं, उन विचारों के ऊपर, सोचना शुरु कर देते हैं । जैसे कि...
किस प्रकार हमारा बिज़नेस हमारे प्रतियोगी से बेहतर हो सकता है?
हम ऐसा क्या कर सकते हैं, जिस से हम मार्केट लीडर बनकर उभर सकें?
हमारी संस्था में क्या हर स्तर पर लीडरशिप को विकसित किया जा सकता है, अगर ‘हाँ’, तो कैसे?
इन समस्याओं को हम कॉम्प्लेक्स या जटिल समस्याएँ कह सकते हैं । कई बार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और सबसे मनोरंजक समस्याएँ जटिल होती है । इन समस्याओं के समाधान पर सोच विचार करने के साथ-साथ हमें अपने एजमशन्स और धारणाओं पर भी सोचना जरुरी होता है ।
इस प्रकार की समस्याओं के बारे में ४ तरह से सोचा जा सकता है । आइये, एक उदहारण देखते हैं । -
समस्या - आपके दो सपने है, घर खरीदना और विदेश घूमने जाना, किन्तु आपके पास इतने पैसे नहीं है, कि आपके दोनों सपने आप तुरंत साकार कर सकें ।
१. आप घर खरीद सकते हैं या विदेश में घूमने जा सकते हैं । आप दोनों में से एक का चुनाव करते हैं और समस्या सुलझ जाती है ।
समस्या को सुलझाने के लिए सबसे बड़े दो विकल्प कौन से है, जिन में से एक का चुनाव हो सकता है?
२. आप घर खरीद सकते हैं या विदेश में घूमने जा सकते हैं । यहाँ पर दोनों विकल्पों में से एक विकल्प चुनने के बजाय आप ज्यादा पैसे कमाने का तीसरा और नया विकल्प चुनते हैं । आप पैसा कमाने के लिए एक ऐसा बिजनेस प्लान तैयार करते हैं, जिससे आने वाले २ वर्षों में घर भी खरीद लेंगे और विदेश भी घूमने जा सकेंगे । इस तरह से इस समस्या को सुलझाने के लिए आप तीसरे विकल्प का चुनाव करते हैं, यानी आप बिजनेस करने का चुनाव करते हैं ।
क्या किसी भी प्राप्त परिस्थिति में उपलब्ध दो विकल्पों के अलावा कोई तीसरा और बेहतर विकल्प बन सकता है?
३. सबसे पहले हम ने दो विकल्प देखें, आप घर खरीद सकते हैं या विदेश घूमने जा सकते हैं । इसके बाद हम ने एक तीसरा विकल्प देखा, जहाँ पर आपने नया बिजनेस करने का चुनाव किया, जिससे २ वर्षों में आप घर भी खरीद लेंगे और विदेश घूमने भी जा सकेंगे । अब इन दोनों परिस्थितियों के अलावा एक और परिस्थिति बन सकती है, जहाँ पर घर लेना या विदेश घूमने जाना आपकी प्रायोरिटी से लगभग बाहर हो सकता है । जैसे कि आपके घर में कोई बीमार हो जाए और आप पूरे पैसे उस व्यक्ति के इलाज पर खर्च कर दें, इस परिस्थिति में घर खरीदना और विदेश घूमना दोनों बेमानी हो जाते हैं । संक्षेप में, कुछ परिस्थितियाँ इस तरह से बन सकती हैं, जहाँ पर आपके सपने का कोई मतलब ही ना रहे ।
क्या ऐसा कुछ हो सकता है, जहाँ पर तत्कालीन समस्या को सुलझाना ही बेमतलब हो जाए?
४. एक - आप घर खरीद सकते हैं या विदेश घूमने जा सकते हैं ।
दो - आप बिजनेस शुरू कर सकते हैं तथा बाद में आपके दोनों सपने पूरे हो सकते हैं ।
तीन - आपके घर में कोई बीमार हो जाता है, आप सारे पैसे उसके इलाज पर खर्च कर देते हैं, इससे आपका सपना ही बेमतलब हो जाता है ।
इसके अलावा एक परिस्थिति और भी बन सकती है, जहाँ पर आपका सपना साकार हो सके । इस नयी परिस्थिति में यह समस्या आपकी ना रहते हुए, किसी दूसरे की हो जाती है । उदाहरण के तौर पर, आप लड़की है, आपकी शादी हो जाती है और आपका यह सपना पूरा करने के लिए आपका पति मेहनत करने लगता है । इस नए विकल्पों के साथ भी आपकी समस्या सुलझ सकती है ।
क्या ऐसी कुछ परिस्थितियाँ बन सकती हैं, जिन में तत्कालीन समस्या किसी और की हो जाएगी और कोई दूसरा इस समस्या को सुलझाए?
चार सवालों को फिर से एक बार दोहराता हूँ ।
१. समस्या को सुलझाने के लिए सबसे बड़े दो विकल्प कौन से है, जिन में से एक का चुनाव हो सकता है?
२. क्या किसी भी प्राप्त परिस्थिति में उपलब्ध दो विकल्पों के अलावा कोई तीसरा और बेहतर विकल्प बन सकता है?
३. क्या ऐसा कुछ हो सकता है, जहाँ पर तत्कालीन समस्या को सुलझाना ही बेमतलब हो जाए?
४. क्या ऐसी कुछ परिस्थितियाँ बन सकती हैं, जिन में तत्कालीन समस्या किसी और की हो जाएगी और कोई दूसरा इस समस्या को सुलझाए?
अब आप अपनी किसी एक समस्या के बारे में सोचें ।
ऊपर दिए गये ४ सवाल उस समस्या के संबंध में पूछें ।
हर सवाल के जवाब में जो विकल्प बन रहे हैं, उन्हें लिखें ।
अगर जरुरत पड़ती है, तो इस प्रक्रिया को दोहराएँ ।
समस्याओं को सुलझाने के लिए कुछ और मूलभूत सवाल -
१. क्या सही में इस समस्या को समस्या कहा जा सकता है?
२. क्या दूसरे तरीके से इस समस्या को समझा जा सकता है?
३. इसका और क्या मतलब हो सकता है?
४. क्या इस समस्या का ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है?
५. कौन सी ऐसी परिस्थितियाँ होंगी, जहाँ पर यह समस्या समस्या ही नहीं रहेगी?
६. इस समस्या को समस्या बनने के लिए ऐसा क्या है, जिसे सच होना पड़ेगा?
७. हम ऐसा क्या कर रहे हैं, जिससे यह समस्या निर्मित हो रही है?
८. हम ऐसा क्या नहीं कर रहे हैं, जिससे यह समस्या और जटिल हो रही है?
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Executive Leadeship Coach & Trainer, Founder & CEO of IBHNLP
इसी सन्दर्भ में और कुछ ब्लॉग पढ़ने के लिए नीचे दिये शीर्षकोंपर क्लिक करें ।
Summary:
If you are looking for the problem-solving strategies or if you have questions in your mind like:
What are the effective ways of problem-solving? How to solve a problem? What are the steps for problem-solving? How to find a solution to a problem with NLP, Hypnosis or Life Coaching? How to solve personal & professional problems with NLP Training?
In this blog, the author gives us an innovative approach towards looking at the problems. Problem-solving is part & parcel of our daily life. Some problems are simple & some are complicated. The one who has mastery in solving problems move ahead in his personal & professional life. NLP Training gives us that flexibility of thoughts. If you want to empower the thought process, NLP Training, NLP Coaching is very helpful.
At IBHNLP - Indian Board of Hypnosis & Neuro-Linguistic Programming, we provide the best NLP Training, NLP Coaching, Hypnosis Training & Life Coach Training to give various aspects to solve a problem. We provide the best quality training at the lowest cost. One should attend NLP Practitioner, NLP Coach, Hypnosis Practitioner & Life Coach Certification Workshop & experience the magical change in sessions by master trainer Sandip. You will receive the best NLP Training & Coaching by India’s topmost NLP Master Trainer Sandip Shirsat. In NLP Training workshops, we understand the brain processes. FREE Hypnosis Training & Life Coach Training & Certification Courses boost that process.
In NLP Training Courses conducted in major cities of India like Mumbai, Pune, Delhi, Bangalore & Ahmedabad, we learn many NLP Tools & Techniques to train our thinking process. IBHNLP stands for the spread of NLP, Hypnosis & Life Coaching through NLP Training, NLP Coaching, Hypnosis Training & Life Coaching. IBHNLP is the most promising NLP Coaching Academy in India. It is rooted in research & development of NLP, Hypnosis, Life Coaching, CBT & Emotional Intelligence. Now get the best NLP Training at an affordable price in Mumbai, Pune, Bangalore, Delhi & Ahmedabad. Register today for NLP Certification Course in India & get Life Coach Training & Certification absolutely FREE!