क्या आप अपने सपने के प्रति जुनून से भरे हैं?
जुनून एक आग होती है, जो सपने रुपी दिये जलाए रखती है । कुछ पाने के लिए, जीने के लिए, आगे बढ़ने के लिए एवं बुलंदियों को छूने के लिए एक जुनून, एक अदम्य उत्साह और तीव्रता होनी चाहिए । जुनून ही वह भावना है, जो असंभव को संभव कर सकती है । जुनून जब उस बिंदु पर पहुँच जाता है, जहाँ से सपनों को साकार करना बेहद आसान हो जाता है, तब जादू होने लगता है । ज़िन्दगी पल भर में परिवर्तित हो जाती है और लक्ष्यों की प्राप्ति सरल प्रतीत होने लगती है । हम उन सकारात्मक और ताकतवर भावनाओं से घिर जाते हैं, जो किसी भी सपने को वास्तविक बनाने के लिए अवश्यंभावी होती है । जुनून एक ऐसा गुण है, जो विजेताओं और पराजितों में अंतर दिखाता है । जुनून ही विजेताओं की ताकत होता है और यही ताकत विजेताओं को विपरीत परिस्थितियों में भी डटकर खड़े रहने की ऊर्जा प्रदान करता है । अगर हम सफलता की तह तक जाएँ, तो जुनून ही वह गुण होगा जिसकी वजह से सफलता की बुलंदियों को छुआ जा सकता है ।
अब सवाल यह है कि, क्या हमारे जीवन में भी ‘जुनून की ऊर्जा’ है, जिससे असंभव को संभव किया जा सके?
कुछ पलों के लिए अपने सबसे महत्वपूर्ण और बड़े सपने के बारे में सोचिए ....
आगे पढ़ने की जल्दी ना करे, कुछ पलों के लिए आखों को बंद कर, अपने सबसे महत्वपूर्ण और बड़े सपने के बारे में सोचिए .....
क्या आप अपने सपने के प्रति जुनून की उर्जा को महसूस करते हैं? क्या आपके सपने को साकार करने के लिए आप जुनून से भरे हैं? क्या आप अपने सपने को साकार करने के लिए पूरे उत्साह के साथ एक्शन लेते हैं? क्या आप अपनी पूरी उर्जा, अपने सपने पर उड़ेल देते हैं? क्या आप खुद को उस सीमा तक ले जाते हैं, जहाँ पर यह महसूस हो कि आप ने अपनी तरफ से सपने को पूरा करने के लिए सौ प्रतिशत मेहनत की है? क्या आप सही में जुनून की उग्रता, ताकत और उत्साह का एहसास करते हैं?
ऐसे ही एक जुनून से भरे, पागलपन की हद तक अपने सपने से प्यार करने वाले और सपने को साकार करने के लिए किसी भी हद तक जाने वाले के.आसिफ का जीवन हमें जुनून के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है । के.आसिफ हिंदी फिल्म जगत का एक ऐसा नाम है, जिनके सामने सिर झुकाने का मन करता है । खुद के सपने के प्रति संपूर्ण निष्ठा, पूरी ऊर्जा के साथ काम करने का जज्बा और सपने को साकार करने के लिए किसी भी स्तर तक जाने की तैयारी, यहीं वे कुछ जादूई गुण हैं, जो के.आसिफ को सफल बनाते हैं । के.आसिफ ने डायरेक्टर के तौर पर केवल दो फिल्में बनायी, इन में से पहली फिल्म कुछ खास नहीं चली पर दूसरी ने इतिहास रच दिया और ऐसा इतिहास रचा कि आज भी लोग उस फिल्म के दीवाने हैं ।
जब १९६० में यह फिल्म रिलीज हुई तब उसने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये, लोग कई दिनों तक टिकिट घर के सामने लाइन लगा कर खड़े रहते थे । इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर इतने रुपये कमाए कि अगले १५ सालों तक यह रिकॉर्ड बरकरार रहा तथा साल के अंत में फिल्म पर पुरस्कारों की झड़ी लग गयी । उस सदाबहार ऐतिहासिक फिल्म का नाम था 'मुग़ल-ए-आज़म' । 'मुग़ल-ए-आज़म' सिर्फ एक फिल्म ही नहीं थी, एक सपना था, जिसके लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया गया था, एक सपना था जिसके लिए हद से ज्यादा मेहनत की गयी थी, एक सपना था जिसका जुनून के.आसिफ के सिर पर सवार था ।
'मुग़ल-ए-आज़म' बनाने के लिए लगभग १४ साल लगे । एक ही सपना जिसका १४ साल तक लगातार के.आसिफ ने पीछा किया । इस सपने को पूरा करने के लिए धैर्य और सहनशीलता के कई इम्तिहान उन्होंने दिए । इन १४ वर्षों में उन्हें अनगिनत समस्याओं से जूझना पड़ा, समस्याओं की एक श्रृंखला ही निकल पड़ी थी, फिर भी के.आसिफ अडिग बने रहे, लगातार लगन और समर्पण से अपना काम करते रहे ।
जिस दौर में सिर्फ ५ से ८ लाख में फिल्में बनती थी, उस दौर में के.आसिफ ने 'मुग़ल-ए-आज़म' बनाने के लिए लगभग डेढ़ करोड रुपए लगा दिए और यह निवेश इतना बड़ा था कि इसके बाद के.आसिफ पूरी तरह से कर्ज में डूब गये थे । इस सपने को पूरा करने के लिए के.आसिफ ने अपनी तरफ से सब कुछ लगा दिया था । उन्होंने उनकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दांव खेला था और वह भी पूरी तैयारी के साथ ।
क्या यह बिना जुनून और समर्पण के संभव है?
१९४६ में फिल्म का निर्माण शुरू हुआ । के.आसिफ ने अपने दोस्त सिराज अली हकीम को प्रोड्यूसर नियुक्त किया और फिल्म निर्माण का काम शुरू हुआ । सबसे पहले अभिनेताओं का चयन हुआ, अकबर के तौर पर चंद्रमोहन, सलीम के तौर पर सप्रू और अनारकली के तौर पर नरगिस को साइन किया गया, बॉम्बे टॉकीज में फिल्म की शूटिंग धूमधाम से शुरू हुई । जब फिल्म का निर्माण हो रहा था, उसी दरम्यान भारत पाकिस्तान विभाजन की प्रक्रिया शुरू हुई और फिल्म के प्रोड्यूसर सिराज भारत छोड़ पाकिस्तान चले गये । फिल्म की शूटिंग बंद हो चुकी थी एवं भविष्य धुंधला नजर आ रहा था । फिर भी के.आसिफ डटे रहे, अगले ६ वर्षों तक प्रयास करते रहें और इस तरह से १९५२ में नए सिरे से फिल्म का निर्माण शुरू हुआ ।
क्या यह बिना जुनून और समर्पण के संभव है?
उस वक्त ग़ज़ल की दुनिया में, बड़े गुलाम अली साहब सबसे बड़ा नाम थे । के.आसिफ को 'मुग़ल-ए-आज़म' में उनसे कुछ गाने गवाने थे और इस सिलसिले में वह गुलाम अली साहब से मिलने पहुँचे । बातचीत के दरमियान के.आसिफ उन्हें अपनी फिल्म में गाना गाने के लिए मनाने का प्रयास कर रहे थे । गुलाम अली साहब ने साफ तौर पर कह दिया, ‘मैं फिल्मों में नहीं गाता हूँ’ । के.आसिफ ने ठान लिया था, बड़े गुलाम अली साहब को वह मनवाकर ही रहेंगे । झंझट टालने के लिए, गुलाम अली साहब ने कहा, ‘अगर मैं गाऊंगा, तो एक गाने के २५,००० रुपये लूंगा’ । आप यकीन नहीं करेंगे, पर उस वक्त रफी साहब और लता दीदी, जैसे बेहतरीन गायक एक गाने के लिए सिर्फ ४०० से ५०० रुपए लेते थे । गुलाम अली साहब ने एक गाने के लिए २५,००० रुपये माँग की थी, के.आसिफ ने फौरन गुलाम अली साहब को १०,००० रुपये एडवांस के तौर पर दिए और उनसे कहा, ‘मेरी फिल्म में आप ही गाएंगे ।’
क्या यह बिना जुनून और समर्पण के संभव है?
आपने फिल्म का ‘प्यार किया तो डरना क्या’ यह गाना जरुर सुना होगा । आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस गाने को शूट करने के लिए के.आसिफ ने १० लाख रुपये खर्च किये । इतने रुपियों में उस वक्त पूरी फिल्म बन जाती थी । सिर्फ एक गाने पर इतने ज्यादा पैसे खर्च करने के संबंध में के.आसिफ का कहना था, ‘यह गाना इतिहास बनेगा, इस गाने को हमें बेहतरीन बनाना है’ ।
क्या यह बिना जूनून और समर्पण के संभव है?
अंत में एक बार फिर से आपको अपने सबसे महत्वपूर्ण और बड़े सपने के संदर्भ में सोचना है और खुद से कुछ सवाल पूछने हैं ।
क्या आप अपने सपने के प्रति जुनून की उर्जा को महसूस करते हैं? क्या अपने सपने को साकार करने के लिए आप जुनून से भरे हैं? क्या आप अपने सपने को साकार करने के लिए पूरे उत्साह के साथ एक्शन लेते हैं? क्या आप आपनी पूरी उर्जा, आपके सपने पर उड़ेल रहे हैं? क्या आप खुद को उस सीमा तक ले जाते हैं, जहाँ पर आपको यह महसूस हो कि आपने अपनी तरफ से सपने को पूरा करने के लिए सौ फ़ीसदी मेहनत की है? क्या आप सही में जुनून की आग, ताकत और उत्साह का एहसास करते हैं?
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Executive Leadeship Coach & Trainer, Founder & CEO of IBHNLP
इसी सन्दर्भ में और कुछ ब्लॉग पढ़ने के लिए नीचे दिये शीर्षकोंपर क्लिक करें ।
Summary:
What is passion?
Passion is energy, which keeps us alive. It motivates us to chase our dreams with full vigour. It’s the fuel which keeps us ablaze throughout the journey of attaining the dream. Ultimately passion is the emotion, it has the structure, patterns inside our brain. In NLP Practitioner Workshop, we understand those structures. NLP Tools & Techniques simplify the thought management process of our brain.
Indian Board of Hypnosis & Neuro-Linguistic Programming (IBHNLP) is the best NLP Training, Hypnosis Training & Life Coach Training & Certification institute in India. It provides NLP Training in Mumbai, Pune, Delhi, Bangalore & Ahmedabad. Attend NLP Practitioner, NLP Coach, Hypnosis Practitioner & Life Coach Certification Workshop nearby your city & experience the live-change work NLP classes by India’s topmost NLP Master Trainer Sandip Shirsat. IBHNLP is dedicated to the spread of NLP Tools & Techniques in the combination of Hypnosis & Life Coaching through NLP Training, NLP Coaching, Hypnosis Training & Life Coaching. IBHNLP is the most promising NLP Institute in India. We are deeply rooted in research & development of NLP, Hypnosis, Life Coaching & mindfulness. Now get the best NLP Training at an affordable price in Mumbai, Pune, Bangalore, Delhi & Ahmedabad. Register today for NLP Certification Course in India & get Hypnosis Training & Certification absolutely FREE!