मोटिवेशन की शक्ति का विज्ञान - पार्ट २
जैसा कि हम ने पिछले ब्लॉग में मोटिवेशन की एनर्जी के संबंध में चर्चा की, जहाँ हम ने देखा एनर्जी आमतौर पर चार अलग-अलग तरह से व्यक्त होती है -
१. नकरात्मक मोटिवेशन
२. गतिशून्य मोटिवेशन
३. सकारात्मक मोटिवेशन
४. उत्साहपूर्ण निश्चयात्मक मोटिवेशन
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१. नकारात्मक मोटिवेशन :
यहाँ पर जिस लक्ष्य को निश्चित किया जाता है, हम उससे दूर भागते हैं एवं उस लक्ष्य को पूरा ना करने के बहाने ढूंढते हैं, क्योंकि उस लक्ष्य को हासिल करने के बाद उतना ज्यादा लाभ नहीं मिलने वाला है, जितनी मेहनत करनी है । संक्षेप में, मोटिवेशन की यह एनर्जी तब पैदा होती है, जब लाभ कम होते हैं और नुकसान बहुत ज्यादा, या लाभ की तुलना में मेहनत ज्यादा होती है । हम पर यह काम करने का जब तक बाहरी उचित दबाव ना डाला जाए, तब तक वह काम करने के लिए हम बिलकुल तैयार नहीं होतें । शायद ऐसा भी हो सकता है कि इस प्रकार के काम करने से हमारी कोई व्यक्तिगत वैल्यू टूट रही है, जिस वजह से उस काम से दूर भागने के रास्तें, हम ढूंढने लगते हैं और इस तरह हमारी नकारात्मक मोटिवेशन निर्मित होने लगती है ।
आइये इसको एक उदहारण से समझते हैं । एक कंपनी ने मुझे पॉजिटिव एटीट्यूड के विषय में सेशन लेने के लिए संपर्क किया । एच. आर. के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने कहा कि आपको २० लोगों की पहली बैच का ट्रेनिंग सेशन लेना है, अगर इस सेशन से कंपनी को अच्छे परिणाम मिलते हैं, तो आपको पूरी कंपनी के वर्कर्स के लिए सेशन लेने का अवसर मिलेगा और इस कंपनी में ३०० से ज्यादा वर्कर्स थे ।
सेशन से पूर्व मैंने वर्कर्स से बातचीत करने का अनुरोध किया, जिसके लिए पहले मैनेजमेंट तैयार नहीं था, फिर बाद में इसके लिए मैनेजमेंट तैयार हो गया । जब वर्कर्स के एक ग्रुप के साथ मैंने बातचीत की, तो मुझे पता चला कि कंपनी में वर्कर्स को जो सैलरी दी जाती है, वह इतनी कम है कि इसे बढ़ाने के लिए कंपनी में गत पांच वर्षों में दस बार हड़ताल हो चुकी थी । साथ ही साथ उन्हें छुट्टियाँ भी कम दी जाती थीं, जब कि उनसे बारह से चौदह घंटे काम करवा लिया जाता था ।
इसके बाद मैंने मैनेजमेंट से साफ साफ कहा कि आपकी यह समस्या पॉजिटिव एटीट्यूड के एक सेशन लेने से खतम होने वाली नहीं है एवं सेशन के बाद आप जो परिणाम अपेक्षित कर रहे हैं, वे नहीं मिलने वाले । इससे अच्छा आप सबसे पहले अपने आर्गेनाईजेशनल स्ट्रक्चर में सुधार कीजिए । जब तक आपका संस्थागत ढांचा ठीक नहीं हो जाता, जैसे कि वेतन, छुट्टियाँ, काम करने के घंटे, इत्यादि, तब तक सिर्फ पॉजिटिव एटीट्यूड के सेशन लेने से सकारत्मक परिवर्तन नहीं आ सकता ।
यह सब करने के बाद भी एच आर मैनेजर ट्रेनिंग सेशन लेने के लिए मुझ पर दबाव बना रहा था, वह रिक्वेस्ट करने लगा एवं बातचीत के बाद मैंने उसे ‘हाँ’ कह दिया । घर आकर जब में ट्रेनिंग सेशन तैयार करने लगा, तब मेरे भीतर एक तरह का नकारात्मक दबाव बनने लगा, मुझे लगने लगा कि यह काम मुझे नहीं करना चाहिए और अंत में मैंने एच आर मैनेजर को फ़ोन कर उस कंपनी में सेशन लेने से मना कर दिया, क्योंकि मुझे पता था कि वहाँ पर सेशन लेने से कुछ पैसे मिल जाएंगे, किन्तु अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं होंगे और मेरे कैरियर पर इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम होंगे । इस प्रकार से मुझे पैसे मिल रहे थे, फिर भी मैंने काम नहीं किया, क्योंकि इसके पीछे नकारात्मक मोटिवेशन छिपा था, लाभ कम थे और नुकसान ज्यादा ।
२. गतिशून्य मोटिवेशन :
गतिशून्य मोटिवेशन को इंग्लिश में inertia कहते हैं । इस प्रकार की मानसिकता में, हम ना तो आगे बढ़ते हैं और ना ही पीछे लौट पाते हैं, यहाँ पर कोई गति नहीं होती । इस प्रकार के मोटिवेशन में तय किये हुए लक्ष्य को प्राप्त करने की इच्छा होती है या नहीं भी होती है । एक असमंजस की स्थिति पैदा होती है, जिससे आगे बढ़ना लगभग असंभव हो जाता है । उस काम को पूरा करने के लिए या लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जिस मोटिवेशन की जरूरत होती है, वह ना के बराबर होती है । फलस्वरूप हम पहले से जो कर रहे हैं, उसे ही करना जारी रखते हैं और नयी चुनौतियों से बचते हैं । यह ऐसी परिस्थिति है, जहाँ पर हमें कोई आगे से खींच रहा है और कोई पीछे की ओर से कस कर पकडे हुए है, जिससे ना हम आगे बढ़ पाते हैं और ना ही पीछे की तरफ लौट सकते हैं । यहाँ पर आगे बढ़ने के लिए जितने कारण हमारे पास होते हैं, उतने ही कारण आगे ना बढ़ने के भी होते हैं ।
मेरे एक क्लाइंट जो पिछले ५ वर्षों से एम. एन. सी. में काम कर रहा थे, उन्हें प्रतिस्पर्धी कंपनी से जॉब ऑफर मिला । नयी जॉब को स्वीकार करने के लिए जितने कारण उनके पास थे, उतने ही कारण उस जॉब को ठुकराने के भी थे । जिससे वे ना नयी जॉब ले पा रहे थे और ना ही पूरानी जॉब छोड़ पा रहे थे । क्लाइंट की इस मानसिक अवस्था को गतिशून्य मोटिवेशन कहा जाता है ।
३. सकारात्मक मोटिवेशन :
जब भी हम सकारात्मक मोटिवेशन से भरे होते हैं, हम आगे की यात्रा शुरू करते हैं । सकारात्मक मोटिवेशन की मानसिकता में हम काम करने के लिए तैयार होते हैं, क्योंकि उससे मिलने वाले फायदे बेहतरीन होते हैं एवं अधिकांश बार ये फायदे बाह्य होते हैं । इस मोटिवेशन की एनर्जी का सबसे बड़ा फायदा यह है, कि हम आगे की ओर यात्रा शुरू कर देते हैं, किन्तु यह यात्रा उस समय तक ही जारी रहती है, जब तक बाहरी तौर पर मिलने वाले फायदे हमारे लिए मूल्यवान हैं । जैसे ही बाहरी फायदों का मूल्य घटने लगता है, वैसे ही इस तरह का मोटिवेशन भी खतम होने लगता है ।
उदहारण के लिए, मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले बहुत से वर्कर्स के साथ इस तरह की घटना घटती है । जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है, काम करने का मोटिवेशन खतम होने लगता है । ज्यादा पेमेंट मिलने के बाद भी इस तरह के वर्कर्स ज्यादा काम करने के लिए तैयार नहीं होतें, क्योंकि उनकी उम्र ५० से अधिक हो गयी है, बेटियों की शादी हो गयी है, बेटें भी धन कमाने लगे हैं, अब धन से मिलने वाला मोटिवेशन लगभग खतम हो चुका है । कुछ वर्ष पहले धन की जरूरत थी, इसलिए बोनस, ज्यादा पेमेंट, इत्यादि सकारात्मक मोटिवेशन के तौर पर वे काम कर रहे थे । पर जैसे ही धन की आवश्यकता कम हुई, वह सकारात्मक मोटिवेशन भी धीरे-धीरे कम होने लगा । उम्र के इस पड़ाव में भी कई वर्कर्स सिर्फ इसलिए काम पर आते हैं, क्योंकि उन्हें उनको समय काटना होता है । उनका सिर्फ एक ही लक्ष्य होता है, रिटायरमेंट के पहले के जो दो-चार वर्ष बचे हैं, उनमें कम से कम काम करना है । इस तरह से ज्यादा पैसों के जरिए जो बाहरी तौर पर सकारात्मक मोटिवेशन दिया जा रहा था, वह काम करना बंद कर देता है । इस तरह के वर्कर्स उतना ही काम करते हैं, जितना काम करने से वे रिटायरमेंट तक कंपनी में बने रह सकें ।
४. उत्साहपूर्ण निश्चयात्मक मोटिवेशन :
इस प्रकार के मोटिवेशन की एनर्जी लंबे समय तक टिकी रहती है, क्योंकि यहाँ पर जो फायदे होने वाले हैं, वे बाह्य स्तर से ज्यादा आंतरिक स्तर पर मूल्यवान होते हैं । संक्षेप में, जब बाहरी और आंतरिक, इन दोनों स्तरों पर लाभ होने की बेहतरीन सम्भावना होती है, तब उत्साह से भरा हुआ निश्चयात्मक मोटिवेशन निर्मित होता है एवं इस मोटिवेशन की एनर्जी को हम सही मायने में मोटिवेशन कह सकते हैं । दूसरे शब्दों में जब बाह्य और आंतरिक फायदों का बेहतरीन संयोजन होता है, तब उत्साह से भरा हुआ निश्चयात्मक मोटिवेशन घटित होता है ।
इस तरह की मोटिवेशन की मानसिकता में लोग उत्साह से भरे होते हैं एवं जब वे उत्साह से भरे होते हैं, तो बेहतर परिणाम निर्मित होने लगते हैं, लंबी दूरी के लक्ष्य साकार होने लगते हैं और पूरी ताकत के साथ सपनों का अनुसरण शुरू होता है । हम उन्हीं कंपनियों को या लोगों को सफल होते देखते हैं, जो उत्साह से भरे होते हैं । इस उत्साह के कारण ही वे एक ऐसी संस्कृति का निर्माण कर पाते हैं, जहाँ पर बड़े सपने साकार हो सकें, जहाँ पर सकारात्मक सोच एक आदत होती है तथा हर कोई आगे बढ़ने के लिए पूरी ताकत लगा देता है ।
दोस्तों थोड़ा सोचिए, यदि पुनः एक बार खुद के अंदर ‘उत्साहपूर्ण निश्चयात्मक मोटिवेशन’ जग जाए, तो चमत्कार हो जाएगा । यह कितना अद्भूत होगा, जब इस मोटिवेशन की ताकत से आपका पूरा जीवन परिवर्तित हो जाए । आपके जीवन में उत्साह का संचार हो, विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का जज्बा हो और आगे बढ़ने की अनवरत प्रेरणा हो । यदि आपको यह समझ में आ जाए कि मोटिवेशन की ताकत से हम अपने अंदर सोयी हुई क्षमताओं को फिर से जगा सकते हैं, तो हमारी ज़िन्दगी कितनी अद्भूत और आनंददायक हो जाएगी एवं इस समझ से आपकी ज़िन्दगी में मूलभूत परिवर्तन आ जाएगा ।
अब आप स्वयं ही सोचिए, आपको कितना बेहतरीन और ताकतवर महसूस होगा, जब इस मोटिवेशन की ताकत से आप हर दिन पूरे लगन के साथ अपने लक्ष्यों का अनुगमन करेंगे, अपने कैरियर में नयी ऊँचाइयों को छुयेंगे, लोगों के साथ आपके संबंध मधुर होगे और आपके जीवन में कभी ना खतम होने वाला आनंद का झरना बहने लगेगा । याद रखना, अगर आपने अपनी ज़िन्दगी में कभी भी कोई भी छोटी या बड़ी सफलता अर्जित की है, तो आपको उस उत्साहपूर्ण निश्चयात्मक मोटिवेशन का अनुभव जरूर हुआ होगा, क्योंकि कोई भी छोटी-बड़ी चीज पाने के लिए, हमें उस निश्चयात्मक मोटिवेशन की तथा अदम्य उत्साह की जरूरत होती ही है । आपको शायद यह महसूस हुआ होगा कि आपके ही भीतर मौजूद है, वह अदम्य उत्साह, वह निश्चयात्मक मोटिवेशन, जो किसी भी सफलता की नींव है । आप में वह ताकत है, मेहनत करने का जज्बा है एवं सपनों को साकार करने का जुनून है । क्या आप खुद को देख सकते हैं, उस उत्साह के साथ, उस निश्चयात्मक मोटिवेशन के साथ, ज़िन्दगी में आगे बढ़ते हुए, स्वयं के सपनों को साकार करते हुए और एक स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करते हुए ।
एन.एल.पी. में हम कुछ ताकतवर विधियाँ सीखते हैं, जिन से उस ‘उत्साहपूर्ण निश्चयात्मक मोटिवेशन’ को कुछ ही पलों में जागृत कर सकें तथा उस मोटिवेशन का इस्तेमाल करते हुए ज़िन्दगी में बेहतर उपलब्धियों को हासिल कर सकें ।
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Executive Leadeship Coach & Trainer, Founder & CEO of IBHNLP
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Summary:
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