एन. एल. पी. क्या है? (लीडरशिप के परिप्रेक्ष्य से) पार्ट 1
गैरी कास्परोव, एक महान खिलाडी जिसे लोग शतरंज के दुनिया का बादशाह कहते हैं । गैरी को बहुत कम उम्र से ही शतरंज के खेल से दिलचस्पी एवं लगाव था । आप शायद यकीन नहीं करेंगे, किंतु वर्ष 1985 में अपनी उम्र के सिर्फ २२ वे साल में, गैरी निर्विवाद रूप से वर्ल्ड चेस चैंपियन बन चुके थे । आपको यह जानकर जरुर ताज्जुब होगा कि उनके शतरंज के खेल कैरियर में, वह 255 महीनों तक दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी बने रहे और यह अपने आप में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था ।
शतरंज की दुनिया के लोग आज भी गैरी का नाम बड़े आदर से लेते हैं, क्योंकि जिस अंदाज में गैरी शतरंज खेलते थे, वह बेहद जुदा था । उनकी सोच तेज थी और वह जन्मजात प्रतिभा के धनी थे । बेहद गहरी एकाग्रता के साथ जब वह शतरंज खेलते थे, तब मानो समय रुक जाता था । जब 2005 में उन्होंने खेल से संन्यास लिया, तब शतरंज की दुनिया उनके सामने आदर से नतमस्तक हो गयी थी ।
वर्ष था 1996 । जगह थी अमरिका का फिलाडेल्फिया शहर और शतरंज की एक अनोखी प्रतियोगिता में गैरी का सामना होने वाला था, डीप ब्लू से और आपको शायद यह जानकर आश्चर्य होगा कि डीप ब्लू, आई.बी.एम. कंपनी का एक सुपरकंप्यूटर था । शायद यह पहला वाकया था, जब मशीन और इंसान सीधे तौर पर एक दूसरे से मुकाबला कर रहे थे ।
आपको तो पता ही है कि शतरंज एक ऐसा खेल है, जहाँ पर कई सारे मानसिक कौशल बेहद जरूरी होते हैं, जैसे कि समस्या को सुलझाना, रचनात्मक सोच, पैटर्न को ढूंढना, रणनीतिक सोच या स्ट्रैटेजिक थिंकिंग, इत्यादि । पूरी दुनिया आश्चर्यचकित थी, यह जानने के लिए बेताब थी कि क्या एक सुपरकंप्यूटर इस तरह के मानसिक कौशल को प्रदर्शित करते हुए शतरंज खेल सकता है? आपको यकीन नहीं होगा किंतु डीप ब्लू ने ना सिर्फ हैरतअंगेज तरीके से शतरंज का खेल खेला, परंतु उसने शतरंज की दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी को भी हरा दिया ।
और शायद यह पहली घटना थी, जब मशीनों ने मनुष्य बनने की राह पर पहला कदम उठाया था । मशीन और मनुष्य के बीच हुए उस शतरंज के मुकाबले के लगभग 25 वर्ष बाद आज AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल पूरी दुनिया में हो रहा है । इस टेक्नोलॉजी ने हमारे व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ हमारे व्यावसायिक तौर तरीकों को पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया है । आपको तो पता ही है कि पिछले कुछ सालों से बिजनेस की दुनिया तीव्रता से बदल रही है और इस परिवर्तन की गति भी बेहद तेज तथा कभी-कभी डरावनी प्रतीत होती है । इस तेज गति से बदलती बिजनेस की दुनिया में स्थिति को सुचारू रुप से नियंत्रित करने तथा दिशा देने के लिए अगर कोई किरदार सबसे असरदार तरीके से काम कर सकता है, तो वह है 'लीडर' ।
एक ऐसा लीडर जो हर पल बदलने वाली परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास से सबको साथ लेकर आगे बढ़े । टेक्नोलॉजी से घिरी इस शुष्क दुनिया में भी, जिसके दिल में दूसरों के प्रति प्यार हो, आदर हो, मदद करने की भावना हो, तथा बेहतर तरीके से संवाद स्थापित करने की कला हो । एक ऐसा लीडर जिसके पास बिजनेस को आगे बढ़ाने का एक ऐसा सपना हो, जो उस से जुड़े लोगों को कार्यप्रवण बनने के लिए प्रेरित करे, एक ऐसा लीडर जिससे संबंधित होने के बाद बाकी लोगों का व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन खुशहाली, आनंद, सफलता और समाधान से भर जाए । आज के दौर में हमें इस तरह के लीडरों का निर्माण करने की आवश्यकता है ।
इस काम में एन. एल. पी. हमारी बहुत अच्छी मदद कर सकता है । असल में एन. एल. पी. के माध्यम से जब हम लीडरशिप का अध्ययन करते हैं, तब हम लीडरशिप के सिद्धांतों के ऊपर सिर्फ चर्चा करने से एक कदम आगे बढ़ते हैं और लीडर के तौर पर स्वयं के मस्तिष्क की सकारात्मक प्रोग्रामिंग करने की अलग-अलग विधियाँ सीखते हैं, क्योंकि हम सभी को तार्किकता के स्तर पर पता होता है, कि एक अच्छा लीडर कैसे बर्ताव करता है? किस तरह से सोचता है? किस तरह से लोगों की मदद करता है? किंतु जब लीडर के इस आदर्श चित्र को वास्तविकता में लाने की हम कोशिश करते हैं, तो कई सारे लोग इस में असफल हो जाते हैं । इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि अच्छे लीडर के बारे में हम जो कुछ जानते हैं, वह सब कुछ हमारे कॉन्शियस माइंड का हिस्सा होता है और शायद आपको पता हो कि कॉन्शियस माइंड में जीवन परिवर्तन करने की क्षमता नहीं होती है । इसलिए एन. एल. पी. ट्रेनिंग के माध्यम से हम लीडरशिप का आदर्श चित्र, लीडरशिप के कौशल तथा लीडरशिप की मानसिकता इ. प्रतिभागी के सबकॉन्शियस में प्रोग्राम कर सकते हैं, जिसके चलते तर्क से आगे बढ़ते हुए वह सही में एक अच्छे लीडर के तौर पर स्वयं को विकसित कर सके ।
अगर लीडरशिप के संदर्भ में हमें एन. एल. पी. की व्याख्या करनी है, तो वह कुछ इस तरह से होगी ।
न्यूरो –
एक अच्छा लीडर उसके मस्तिष्क को नियंत्रित करना जानता है । उसे पता होता है कि किस तरह से विचारों को, भावनाओं को एवं व्यवहार को सकारात्मक दिशा देते हुए बेहतर परिणामों को अर्जित किया जाता है । स्वयं के मस्तिष्क को नियंत्रित करने की उसकी काबिलियत ही उसे आम लोगों से अलग खड़ा करती है, तथा स्वयं के जीवन को परिवर्तित करते हुए वह इस दुनिया को एक नया रास्ता भी दिखा सकता है ।
लिंग्विस्टिक –
एक अच्छा लीडर उसकी भाषा का इस्तेमाल लोगों को प्रभावित करने के लिए बेहद सटीक ढंग से करता है, साथ ही साथ उसका संदेश पूरी ताकत से उन तक पहुँचाने में माहिर होता है । वह बातों-बातों में लोगों के विचारों को बदल सकता है, उनकी धारणाओं को परिवर्तित कर सकता है और उनके अंतर्मन में सकारात्मक सूचनाएँ स्थापित कर सकता है, जिससे लंबी अवधि के लक्ष्य पूरे किए जा सकते हैं और बड़े सपनों को साकार किया जा सकता है ।
प्रोगॅमिंग –
एक अच्छा लीडर एक्शन लेना जानता है और उसकी एक्शन बेहतर परिणाम निर्मित करती है । वह ना सिर्फ स्वयं को एक्शन लेने के लिए प्रेरित करने का सामर्थ्य रखता है किंतु लोगों को उनके आरामदेह क्षेत्र से बाहर निकाल कर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है ।
यह तो लीडरशिप के दृष्टिकोण से एन. एल. पी. की परिभाषा हुई, किंतु किस तरह से एन. एल. पी. का इस्तेमाल करते हुए आप ‘लीडरशिप माइंडसेट’ को विकसित कर सकते हैं, यह अगले ब्लॉग में देखेंगे । तब तक के लिए ...
एन्जॉय युवर लाइफ एंड लिव्ह विथ पैशन ।
संदिप शिरसाट
आई.बी.एच.एन.एल.पी. के संस्थापक अध्यक्ष तथा एन.एल.पी. मास्टर ट्रेनर
एन.एल.पी. के बारे में मास्टर ट्रेनर संदिप शिरसाट द्वारा अलग-अलग पहलुओं से लिखे ब्लॉग्स पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक्स पर क्लिक कीजिए ।