डाउन साइड प्लानिंग
जिम कोलिन्स एवं जेरी पोरस की लिखी किताब ‘बिल्ट टू लास्ट’ में कोलगेट कंपनी के इतिहास के बारे में कुछ बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की गयी हैं । कोलगेट के इतिहास से हम डाउनसाइड प्लानिंग का महत्व समझ सकते हैं । कोलगेट के इतिहास के बारे में उन्होंने जो कुछ कहा है, वह इस तरह से है...
If you want to read the same article in English, please click here.
बीसवीं सदी के प्रारंभ तक कोलगेट अन्य कंपनियों की तुलना में एक असाधारण और सफल कंपनी थी । १८०६ में इसकी स्थापना के बाद इसने एक सदी से ज्यादा समय तक बेहद अच्छी सफलता और वृद्धि हासिल की और इसका आकार भी इसकी प्रतिस्पर्धी कंपनी पी एंड जी लगभग के बराबर था । उस वक्त कोलगेट के पास एक ताकतवर विचार पद्धति थी, जो सिडनी कोलगेट, कोलगेट कंपनी के संस्थापक, द्वारा व्यक्त आदर्शों पर आधारित थी ।
धीरे-धीरे परिस्थितियाँ बदलती गयी और १९४० के दशक तक कोलगेट का आकार पी एंड जी की तुलना में आधा ही रह गया तथा लाभ केवल एक चौथाई । अगले ४ दशकों तक लगभग यही अनुपात बना रहा । कोलगेट अपनी शक्तिशाली मूलभूत विचार पद्धति से भटक गयी और पी एंड जी की तुलना में ज्यादा कमजोर पहचान वाली कंपनी बन गयी ।
अब सवाल यह है कि ऐसा क्या हुआ, जिससे इस तरह के हालात बनें?
कोलगेट में पहली चार पीढ़ियों तक शीर्ष पदों पर पूरी तरह पारिवारिक लोग ही रहे थे, जो सभी कोलगेट परिवार के सदस्य थे । बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में कंपनी लीडरशिप में आवश्यक बदलाव लाने में असफल सिद्ध हुई और लीडरशिप में जरुरी बदलाव लाने में मिली इस असफलता ने, कोलगेट को प्रतिस्पर्धी कंपनियों से पीछे धकेल दिया । कोलगेट ने शायद नीचें लिखें दो सबसे महत्वपूर्ण सवालों पर ज्यादा सोच विचार नहीं किया था ।
०१. जिस परिवर्तन के बारे में सोच विचार किया जा रहा है, उस में कौन से खतरे समाहित हैं?
०२. इस परिवर्तन के संबंध में, ऐसा क्या है, जो संभवतः गलत हो सकता है?
उस वक्त कोलगेट बंधु बूढ़े हो रहे थे, कंपनी के प्रेसिडेंट गिलबर्ट कोलगेट की आयु ७० वर्ष थी एवं सिडनी कोलगेट की आयु ६६ वर्ष तथा रसेल कोलगेट की आयु ५५ वर्ष थी । रसेल की उम्र कम थी, पर कंपनी प्रबंधन का उन्हें कोई अनुभव नहीं था । सिडनी के बेटे बेयड कोलगेट की उम्र और अनुभव कोलगेट कंपनी को लीडरशिप देने के लिए पर्याप्त नहीं था, उन्हें कॉलेज से निकले अभी सिर्फ ६ वर्ष हुए थे । इसलिए जब कंसल्टेंट्स और वकीलों ने कोलगेट को पामोलिव-पीट के साथ विलय करने की पेशकश की, तो उनकी इस बात को कोलगेट भाइयों ने ध्यान से सुना एवं विलय को मंजूरी दे दी, इसके बाद उन्होंने स्वयं को व्यवहारिक तौर पर सेवानिवृत्त कर लिया । बिना इसपर ज्यादा सोच विचार किये कि...
०१. जिस परिवर्तन के बारे में सोच विचार किया जा रहा है, उस में कौन से खतरे समाहित हैं?
०२. इस परिवर्तन के संबंध में, ऐसा क्या है, जो संभवतः गलत हो सकता है?
पामोलिव-पीट से विलय के बाद कोलगेट के चीफ एग्जीक्यूटिव बनने वाले मि. पीयर्स तबाही साबित हुए । 'विस्तार के जुनून' से संचालित पियर्स ने अलग-अलग छोटी कंपनियों के साथ कोलगेट का विलय कर के एक अग्रणी ‘कंपनी समूह’ बनाने का असफल प्रयास किया । कोलगेट को दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनाने की दीवानगी भरी धुन पीयर्स के सिर पर सवार थी । इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु वह पागलपन की हद तक जा पहुँचे थे । उनके सामने सिर्फ एक ही लक्ष्य था, ‘विस्तार’ ।
कुछ ही समय में इस 'विस्तारवादी जुनून' के नकारात्मक परिणाम सामने आने लगे । रिटेलर, ग्राहक और कर्मचारियों के साथ जो निष्पक्ष व्यवहार की संस्कृति कोलगेट कंपनी में वर्षों से थी, वह तहस-नहस हो गयी । उन्होंने रिटेलर्स के साथ इतनी सख्ती दिखाई कि रिटेलर्स ने बगावत कर दी । साथ ही साथ औषधि विक्रेता भी नाराज हो गये, जो कोलगेट के पूराने व्यवहार के आदी थे । पीयर्स प्रबंधन की रणनीति से वे जरा भी खुश नहीं थे । उस वक्त कोलगेट कंपनी सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुओं से होने वाले भारी लाभ पर निर्भर थी, इसलिए औषधि विक्रेताओं का असंतोष एक तबाही भरा झटका साबित हुआ ।
फार्च्यून के अनुसार, कोलगेट परिवार ‘अपनी नींद से जागा और पीयर्स की करतूतों को देखकर आश्चर्य करने लगा ।’ पीयर्स की जगह पर बेयड कोलगेट को चीफ एग्जीक्यूटिव बनाया गया । तब बेयड की उम्र सिर्फ ३६ वर्ष थी । इस युवा सीईओ ने कोलगेट के आदर्शों को दोबारा स्थापित करने एवं कंपनी को प्रगतिपथ पर ले जाने की कोशिश की । पर यह करना बेयड कोलगेट को कठिन साबित हो रहा था, क्योंकि उन्हें इस भूमिका के लिए तैयार नहीं किया गया था । इस तरह से पुनः बेयड कोलगेट को चीफ एग्जीक्यूटिव बनाने का निर्णय लेने के पूर्व भी नीचे लिखे इन दो सवालों के ऊपर ज्यादा सोच विचार नहीं हुआ ।
०१. जिस परिवर्तन के बारे में सोच विचार किया जा रहा है, उस में कौन से खतरे समाहित हैं?
०२. इस परिवर्तन के संबंध में, ऐसा क्या है, जो संभवतः गलत हो सकता है?
बेयड कोलगेट ‘चीफ एग्जीक्यूटिव’ पद पर सिर्फ ५ वर्ष रहे, इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सेल्स मैनेजर मि. एडवर्ड लिटिल को चीफ एग्जीक्यूटिव बना दिया और वह पदमुक्त हो गये ।
इस घटनाक्रम के बाद कोलगेट पी एंड जी से पिछड़ गयी और दोबारा कभी उबर नहीं पाई । पीयर्स युग के बाद के दशक में पी एंड जी कोलगेट की तुलना में दो गुनी तेजी से बढ़ी और उसने चार गुना ज्यादा मुनाफा कमाया ।
‘कोलगेट’ इतिहास के बारे में अभी हम ने जो कुछ पढ़ा, उससे एक सबक हमें याद रखना होगा, कि परिवर्तन में जोखिम होता है । अगर हमें अपनी ज़िन्दगी में कोई भी बदलाव सफलतापूर्वक लागू करना है, तो हमें हर छोटी-मोटी बात पर विचार करना होगा । हम ने सतही तौर पर हर कार्य सही किया है, इसका यह मतलब नहीं होता कि परिवर्तन हर स्थिति में सफलतापूर्वक लागू हो जाएगा ।
हमें सवाल पूछने होंगे, कठिन सवाल पूछने होंगे, परिवर्तन से जुडी प्रत्येक छोटी बात पर सवाल पूछने होंगे । व्यक्तिगत या संस्थागत जीवन में किसी परिवर्तन को लाना बेहद जरुरी है, तो इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं होता कि आप उसे सफलतापूर्वक लागू कर सकें, इसीलिए डाउन साइड प्लानिंग अपेक्षित होती है । डाउन साइड प्लानिंग का मतलब है, आपदा की परिस्थिति में क्या करना है, इसकी योजना पहले से ही बनाकर रखना, जिससे आपदा की स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला जा सके । इस डाउन साइड प्लानिंग के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न...
१. जिस परिवर्तन के बारे में सोच विचार किया जा रहा है, उस में कौन से खतरे समाहित है?
२. इस परिवर्तन के संबंध में, ऐसा क्या है, जो संभवतः गलत हो सकता है?
आपको शायद पता होगा कि घुड़सवारी सीखते वक्त सिर्फ घोड़ा चलाना ही नहीं वरन घोड़े से गिरना भी सिखाया जाता है इसीप्रकार रेसिंग कार के ड्राइवर को एक्सीडेंट होने पर क्या करना है, यह बेसिक ट्रेनिंग में ही सिखाया जाता है, इस प्रकार की ट्रेनिंग डाउन साइड प्लानिंग का हिस्सा होती है । अगर आपके पास विपदा से निपटने के लिए पहले से कोई योजना तैयार नहीं है, तो शायद विपदा की स्थिति में आप कुछ ग़लत निर्णय लेंगे और आगे चलाकर यही गलत निर्णय आपकी असफलता का कारण बन सकते हैं ।
हम सभी ने कभी न कभी सर्कस देखा होगा । सर्कस में एक खेल होता है, जिस में कुछ लोग हवा में लटकते झूलों पर झूलते हैं । झूले पर झूलनेवाला हवा में छलांग लगाता है और दूसरे झूले पर जो व्यक्ति है, वह उसे पकड़ लेता है और फिर उसे तीसरे झूले पर फेंका जाता है । इस प्रकार से हवा में छलांग लगाते हुए, एक झूले से दूसरे झूले और दूसरे झूले से तीसरे झूले पर सारे लोग झूलने लगते हैं । यह पूरा करतब हवा में ४० से ५० फीट ऊपर चलता है । यह करतब करने वाले सारे लोग अत्यधिक प्रशिक्षित होते हैं । उनके लिए झूले से नीचे गिरने की संभावना लगभग ना के बराबर होती है । फिर भी डाउन साइड प्लानिंग के तहत नीचे जमीन से १० फीट ऊपर एक जाली लगा देते हैं । जिस से अगर कोई गिर भी गया, तो उसे चोट ना आए । इतने प्रशिक्षित होने के बाद भी सर्कस के इस करतब में अगर डाउन साइड प्लानिंग होती है, तो हमें भी इस पर जरूर सोचना होगा ।
डाउन साइड प्लानिंग के लिए ४ सबसे महत्वपूर्ण सवाल -
१. अगर मैं जरुरी परिवर्तन लाने में असफल रहा, तो बुरे से बुरा क्या होगा? (क्या मैंने इसके बारे में सोचा है?)
२. अगर मैं जरुरी परिवर्तन लाने में असफल रहा, तो ऐसा क्या हो सकता है, जिसे मैं अच्छा कह सकूंगा? (क्या यह सही में अच्छा है?)
३. अगर मैं जरुरी परिवर्तन लाने में सफल रहा, तो बुरे से बुरा क्या होगा? (क्या मैं इसके लिए तैयार हूँ?)
४. अगर मैं जरुरी परिवर्तन लाने में सफल रहा, तो ऐसा क्या है, जो सबसे अच्छा होगा? (क्या मुझे यह अच्छा लगेगा?)
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Executive Leadeship Coach & Trainer, Founder & CEO of IBHNLP
इसी सन्दर्भ में और कुछ ब्लॉग पढ़ने के लिए नीचे दिये शीर्षकोंपर क्लिक करें ।
Summary:
Importance of Downside Planning
Downside planning is the backbone of any successful transition of change. Change in any aspect of life needs proper attention. If you want to move ahead in your life or feeling stuck somewhere, you should attend the best NLP Training Course in India, designed by India’s Best NLP Trainer Sandip Shirsat.
At the Indian Board of Hypnosis & Neuro-Linguistic Programming (IBHNLP), in NLP Training, along with FREE Hypnosis Training & Life Coach Training & Certification Courses, we help individuals to manage the change successfully. NLP Training provides concrete strategies to manage personal & professional change.
Our NLP Training Institutes in major cities of India like Mumbai, Pune, Delhi, Bangalore & Ahmedabad smoothen the journey of personal transformation. One should attend NLP Practitioner, NLP Coach, Hypnosis Practitioner & Life Coach Certification Workshop & experience the live-change work. One will receive the best NLP classes by India’s topmost NLP Master Trainer Sandip Shirsat. IBHNLP is dedicated to the spread of NLP Tools & Techniques in the combination of Direct Hypnosis & Life Coaching through NLP Training, NLP Coaching, Hypnosis Training & Life Coaching. IBHNLP is the most promising NLP Coaching Academy in India. It is rooted in research & development of NLP, Hypnosis, Life Coaching, CBT & Emotional Intelligence. Now get the best NLP Training at an affordable price in Mumbai, Pune, Bangalore, Delhi & Ahmedabad. Register today for NLP Certification Course in India & get Life Coach Training & Certification absolutely FREE!