परिवर्तन से जुड़ी हुई तीन बुनियादी बातें
आज हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, वह दुनिया बड़ी तेजी से बदल रही है । अगर आप गौर करें, तो आपको यह समझ में आएगा कि आज जिन वस्तुओं का हम इस्तेमाल कर रहे हैं, उनमें से कई सारी वस्तुएँ ऐसी हैं, जो ५० साल पहले इस दुनिया में मौजूद ही नहीं थीं । इतना ही नहीं सिर्फ २० साल पहले हमारी ज़िन्दगी बिल्कुल ही अलग थी, हमारे खान-पान की आदतें, हमारे रहन-सहन का अंदाज़, हमारा काम करने का तरीका, सब कुछ आजसे बिलकुल ही भिन्न था ।
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अगर हम थोड़ा ध्यान दें, तो हमें समझ में आएगा कि हमारे आसपास की हर चीज बदल रही है, हमारे बिजनेस बदल रहे हैं, हमारे जॉब्स बदल रहे हैं, हमारे फैमिली का स्ट्रक्चर बदल रहा है, हमारी शिक्षा व्यवस्था बदल रही है, हमारी बीमारियाँ बदल रही हैं, लगभग सब कुछ बदल रहा है । इस बदलाव से अनिश्चितता पैदा हो रही है, जीवन के हर क्षेत्र से स्थिरता नदारद हो रही है और इसके चलते प्रत्येक बीतते हुए दिन के साथ कई लोग अपना साइक्लोजिकल बैलेंस गवाँ रहे हैं ।
अब सवाल यह उठता है कि इस बदलाव का और तेज गति से हो रहे परिवर्तन का हम किस प्रकार से सामना कर सकते हैं?
आपको शायद पता होगा कि शरीर में होने वाले बदलावों का सामना करने के लिए हमारे शरीर में भी होमोस्टेटीक सिस्टम होता है । हर वो बदलाव जो शरीर को अस्वस्थ कर देता है, उस बदलाव को रोकने या उससे उबरने का काम यह सिस्टम करता है । उदहारण के तौर पर, जब ज्यादा गर्मी में शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है । जैसे ही शरीर का तापमान नियत तापमान से ज्यादा बढ़ने लगता है, यह सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है ।
इसके चलते हमें पसीना आने लगता है, साथ ही साथ हमारी स्किन की तरफ ज्यादा रक्त प्रवाह बहने लगता है, इस प्रकार से यह सिस्टम शरीर का बढ़ा हुआ तापमान कम करने के लिए मदद करता है । इसका मतलब यह है कि जब तय किये हुए स्टैंडर्ड से अलग चीजें होने लगती है, तब फिर से तय किये गये स्टैंडर्ड पर लौटने के लिए यह सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है और इसी को हमारे शरीर की होमोस्टेटीक सिस्टम कहा जाता है ।
इस तरह का होमोस्टेटीक सिस्टम हवाई जहाँज में भी होता है, जिसे आमतौर पर साइबरनेटिक इंस्ट्रूमेंट कहा जाता है । प्लेन जहाँ कहीं भी जा रहा है, उसका मार्ग प्लेन के कंप्यूटर में प्रोग्राम किया जाता है । प्लेन उसी मार्ग से यानी तय किये हुए स्टैंडर्ड के अनुसार अपने गंतव्य की तरफ उड़ान भरता है । अगर बीच में प्लेन उस मार्ग से भटक जाता है, तो यह सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है । प्लेन का तय किया हुआ मार्ग और बदला हुआ मार्ग इसके बीच के अंतर का यह सिस्टम आकलन करता है और फिर प्लेन को उसके मूल मार्ग पर लाया जाता है । जैसे कि एक हवाई जहाँज ने दिल्ली से शिकागो के लिए उड़ान भरी, अब दिल्ली से शिकागो तक का मार्ग प्लेन के कंप्यूटर में पहले से ही फीड किया जाता है । अगर वैमानिक की गलती से प्लेन इस तय किये हुए मार्ग से भटक जाता है, तो यह सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगी और प्लेन को उसके मूल मार्ग पर ले आएगा ।
इस प्रकार की होमोस्टेटीक सिस्टम हमारे दिमाग में भी होता है । उदाहरण के तौर पर, हमारी एक कंफर्ट लेवल होती है, जहाँ पर हम बिना तनावग्रस्त हुए चीजों को करते हैं, पर जैसे ही इस कंफर्ट लेवल से हटकर हम अलग चीजें करने लगते हैं, हमारे दिमाग की यह सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है और फिर से हमें कंफर्ट जोन में लाया जाता है । हमें जो हासिल करना है, उस में और हमारे कंफर्ट जोन में जितना ज्यादा अंतर होता है, उतनी ही असफलता की संभावना बढ़ जाती है । इसीलिए बहुत बार बड़ा परिवर्तन हमें डरा देता है, बड़े सपने जरूरी एक्शन नहीं लेने देते और हमारा दिमाग परिवर्तन का विरोध करने लगता है । तार्किकता के स्तर पर हमें पता होता है कि यह परिवर्तन बेहद जरूरी है, परंतु दिमाग बदलाव के लिए तैयार नहीं होता और परिवर्तन के प्रति हम अनिच्छा से भर जाते हैं ।
क्या आपका कोई बड़ा सपना है? क्या कोई बड़ा परिवर्तन आप अपनी ज़िन्दगी में लाना चाहते हैं? क्या आप इस सपने के या परिवर्तन के संदर्भ में वर्षों से सोच रहे हैं, पर आपका दिमाग आपको एक्शन नहीं लेने दे रहा है? क्या आपकी ज़िन्दगी में कोई बड़ा बदलाव होना बहुत जरुरी है, यह जानने के बावजूद, उस पर फोकस के साथ कोई काम नहीं हो रहा है?
अगर इस तरह की बातें आपकी ज़िन्दगी में घट रही हैं, तो आपको नीचे लिखी तीन बातों पर गौर करना होगा ।
१. जैसे ही किसी बदलाव के प्रति अनिच्छा होने लगे, तो समझ लेना आपका दिमाग आपको चेतावनी देने की कोशिश कर रहा है । दिमाग की इस चेतावनी को नकारात्मक समझने की भूल ना करें । दिमाग तो सिर्फ इतना चाहता है कि आपकी ज़िन्दगी जैसे चल रही है वैसे ही चलती रहे, क्योंकि कोई भी बदलाव तनाव को निर्मित करता है, चाहे वह सकारात्मक ही क्यों ना हो ।
दुर्भाग्य से दिमाग को खुद के बल पर सकारात्मकता और नकारात्मकता में फर्क करना नहीं आता । दिमाग तो सिर्फ हमें बचाना चाहता है, नए परिवर्तन से निर्मित होने वाली अनिश्चितता से और तनाव से । इसीलिए अगर बदलाव के प्रति अनिच्छा का भाव हो रहा है, तो दिमाग से आनेवाली इस चेतावनी पर गौर करें, उसके पीछे छिपे हुए अर्थ को पहचानने की कोशिश करें ।
२. नए परिवर्तन से कुछ नकारात्मक परिणाम निर्मित होने वाले हैं, जिनकी वजह से दिमाग बदलाव के लिए तैयार नहीं हो रहा है । हमें सफलतापूर्वक नए बदलाव को ज़िन्दगी में उतारने के लिए इन नकारात्मक परिणामों की काट ढूंढनी होगी । जैसे कि सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करना है, पर जल्दी उठने से नींद का जो आनंद मिल रहा है, वह मिलना बंद हो जाएगा और शायद इसी नकारात्मक परिणाम के डर से दिमाग सुबह उठकर व्यायाम के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि नींद से मिलने वाला आनंद छोड़ने को दिमाग नकारात्मकता के तौर पर लेगा । जब तक हमें इसकी काट नहीं मिल जाती, तब तक व्यायाम होना लगभग असंभव है ।
३. परिवर्तन का अगर सफलतापूर्वक सामना करना है, तो यहाँ पर एक और बात पर ध्यान देना होगा । एक वक्त में केवल एक बदलाव पर ही ध्यान केंद्रित करें, अगर बहुत सारे परिवर्तन एक साथ कर रहे हैं, तो उनके साथ तालमेल बिठाना दिमाग के लिए कठिन हो जाता है, जिससे परिवर्तन संभव होने के बावजूद भी असंभव बन जाता है ।
उदाहरण के तौर पर, मुझे हमारे इंस्टिट्यूट की वेबसाइट बनानी थी और उस वेबसाइट को बनाने का काम मैंने मेरे एक दोस्त को दिया । शुरुवात में चीजें ठीक ढंग से चल रही थीं, पर धीरे-धीरे चीजें बदलने लगी । मेरा दोस्त छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होने लगा, काम पर से उसका ध्यान कम होने लगा और उसकी अस्वस्थता भी बढ़ने लगी । कुछ समय बाद वेबसाइट का काम पूरी तरह से बंद हो चुका था । अंत में जब मैंने उससे कहा कि अब यह वेबसाइट बनाने का काम मैं किसी दूसरे को सौंप रहा हूँ, तब उसका गुस्सा फूट पड़ा, वह झगड़ने लगा, चिल्लाने लगा, धमकियाँ देने लगा ।
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक से मेरे दोस्त में ऐसा नकारात्मक परिवर्तन क्यों आया? एक शांत इंसान, इतना अस्वस्थ क्यों हुआ था? उसका व्यवहार इतना हिंसक क्यों हुआ था? उसकी ज़िन्दगी पर सोचने के बाद मुझे इन सवालों के जवाब मिलें । उसके लिए उसके जीवन में होने वाले परिवर्तन का सफलतापूर्वक सामना करने की क्षमता नहीं बची थी, क्योंकि ज़िन्दगी के हर हिस्से में बहुत ज्यादा परिवर्तन हो रहा था ।
सालों से वह जॉब कर रहा था और जॉब से अच्छे खासे पैसे भी कमा लेता था, अब उसने जॉब के साथ बिजनेस भी शुरू कर दिया था । यानी जॉब की जिम्मेदारियों के साथ बिजनेस की जिम्मेदारियाँ बढ़ चुकी थीं । जिन लोगों को उसने एम्प्लाइज के तौर पर रखा था, उनको हर महिने तनख्वाह देनी थी । जो तनख्वाह वह उन्हें देता था, उसके बदले उतना प्रोफिट नहीं होता था । जिस जॉब पर वह काम कर रहा था, वह जॉब भी छोड़ना उसके लिए असंभव था । दूसरी तरफ उसने नया फ्लैट लिया था और उसकी हर महिने ४५,००० रुपये की किश्त उसे देनी ही थी । साथ ही साथ कुछ दिन पहले उसकी बेटी बीमार थी, तो हॉस्पिटल का खर्चा भी बहुत ज्यादा हो चुका था ।
संक्षेप में, ज़िन्दगी के हर मोर्चे पर बदलाव हो रहा था और हर बदलाव बहुत बड़ा था । एक वक्त पर होनेवाले इतने सारे परिवर्तनों के सामने उसका दिमाग टूट चुका था और इसके परिणाम स्वरुप ज़िन्दगी के ऊपर उसका नियंत्रण ख़त्म हो चुका था । अतः अगर हमें परिवर्तन का सफलतापूर्वक सामना करना है, तो एक वक्त पर सिर्फ एक चीज बदलना बेहतर होता है । जिस से हम हमारी पूरी ताकत, हमारे रिसोर्सेस, हमारे कौशल से उस परिवर्तन का सफलतापूर्वक ज़िन्दगी में तालमेल बिठाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं ।
परिवर्तन के संदर्भ में कुछ सवाल:
१. क्या आपकी ज़िन्दगी में भी बहुत सारे परिवर्तन एक साथ हो रहे हैं?
२. क्या आपकी ज़िन्दगी में परिवर्तन ना के बराबर होते हैं?
३. बदलाव ज़िन्दगी के किसी भी हिस्से में हो, आप किस प्रकार से प्रतिक्रिया करते हैं?
४. बदलाव के प्रति आपके पास कितनी सहनशीलता है?
५. एक ऐसे बदलाव के बारे में सोचिए, जिसे आपने सफलतापूर्वक आपनी ज़िन्दगी में लागू किया था? उस सफल बदलाव के लिए आपने क्या किया था, जिस से वह बदलाव सफल हुआ?
६. एक ऐसे बदलाव के बारे में सोचिए जब बदलाव विफल हुआ था? ऐसा क्या हुआ था, जिससे यह बदलाव असफल हुआ?
७. अब थोड़ा आपनी ज़िन्दगी के उन हिस्सों के बारे में सोचिए । ज़िन्दगी के कौन से ऐसे हिस्से हैं, जहाँ आपको जो बदलाव अपेक्षित है? उदाहरण के तौर पर क्या आपको अपने करियर में कोई बदलाव अपेक्षित है? किस तरह का बदलाव आपको अपेक्षित है? ऐसा क्या है, जिसने आपको रोक कर रखा है? ऐसा क्या है, जिसकी वजह से आप बदलाव करने के लिए हिचकिचा रहे हैं?
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Executive Leadeship Coach & Trainer, Founder & CEO of IBHNLP
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Summary:
If you have the questions in your mind, like:
How to handle the change at personal & inter-personal level successfully? What are the principles of change management? What do you mean by change management? What are the steps of change management? What is an example of change management? Why do people resist change? What are the fundamental levels of change management?
Three Fundamentals Things you should consider before bringing any kind of change in your life:
1. Reluctance towards change is just an indication. Don’t label it as a negative one.
2. Find the solution for that negative emotion, which is pulling you back from managing the change.
2. Focus on a single change at a time. Multiple changes make it difficult to manage the change at all the fronts.
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