क्या आपका प्रत्येक दिन एक तय पैटर्न में बीतता है?
कई बार ज़िन्दगी की उठा-पटक, दौड़-धूप और कोलाहल में जीवन की कुछ महत्वपूर्ण और मूल्यवान बातें नजरअंदाज होने लगती हैं, जिससे ‘क्या कम महत्त्व का है और क्या महत्वपूर्ण है?’, इसकी समझ नहीं रहती । ‘जैसा पीछे से आया वैसा आगे ढकेल दिया' इस प्रकार की मन:स्थिति बनने लगती है । इस मानसिकता का एक परिणाम यह भी होता है कि छोटी बातें, जिनका कुछ भी महत्व नहीं है, हमारे जीवन पर हावी होने लगती है ।
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जीवन की इस तेज रफ्तार में हमारे आसपास की परिस्थितियाँ जो लगातार बदल रही हैं, नजरअंदाज होने लगती हैं और हर दिन घटने वाली कुछ बेहद आम घटनाओं को ही हम जीवन मान लेते हैं । हम हर दिन उन्हीं चीजों को करते हैं, जो हम ने कल भी की थीं, हम हर दिन उसी मानसिकता को जीने लगते हैं, जिसे हम ने कल भी अनुभव किया था और हमारा हर दिन बीते हुए कल जैसा ही होता है ।
अक्सर हमारी मानसिकता का, हमारे व्यवहार का, हमारी भावनाओं का, एक पैटर्न बन जाता है और इस पैटर्न को ही हम जीवन कहने लगते हैं । प्रगति का भाव खतम हो जाता है, नयी चीजों को करने से हम परहेज़ करने लगते हैं, बेहतर कल के लिए तैयारी करना हम रोक देते हैं और इससे ज़िन्दगी विपरीत दिशा में चलने लगती है । दुर्भाग्य से हम पीछे जा रहे हैं, यह तब तक दिखाई नहीं देता, जब तक परिस्थितियाँ हमारे हाथ से बाहर ना चली जाएँ । फिर एक दिन अचानक सब कुछ बदल जाता है, हम जीवन का नियंत्रण खो देते हैं और ज़िन्दगी के हर मोर्चे पर विफल होने लगते हैं ।
क्या यह सिर्फ आम लोगों के साथ ही होता है या जो बेहद कामयाब लोग हैं, वे भी इस तरह की गलती करते हैं?
एक उदहारण से इसे समझने की कोशिश करते हैं । हेनरी फोर्ड का नाम आपने सुना ही होगा । इस दुनिया के सबसे सफल, बेहद खोजपरक और ताकतवर लोगों में से एक । फोर्ड ही वह इंसान था, जो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति लाया और कारों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा ।
३० जुलाई १८६३ अमरिका के मिशीगन में जन्मे हेनरी फोर्ड ने कार निर्माण के क्षेत्र में ऐसा कारनामा किया कि कार उद्योग का कायापलट हो गया । फोर्ड और उनके सहयोगियों ने मिलकर एक ऐसी तकनीक खोजी, जिससे कारों का बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हुआ । कारों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की इस तकनीक को 'टी मॉडल' नाम दिया गया । यही वह तकनीक थी जिसके कारण कारों का उत्पादन बढ़ा, लागत में कमी आई और कारे सस्ती हुई, और आम इंसान भी कार खरीदने लगा ।
हेनरी फोर्ड कार उद्योग क्षेत्र के एक जादूगर थे और उनके इस 'टी मॉडल' के आविष्कार के बिना इस दुनिया की कल्पना करना भी असंभव लगता है । अपने काम के प्रति बेहद लगाव, पूरी तरह से समर्पण, नयी सोच, दुनिया को बदलने का जज्बा, सौ फ़ीसदी फोकस और खुद पर विश्वास यह सारे विशिष्ट गुण हेनरी फोर्ड में दिखाई देते हैं । वह एक भविष्यद्रष्टा थे, जिनकी बदौलत आज हम हमारा सफर कार में बैठकर आराम से तय करते हैं ।
हेनरी फोर्ड कहा करते थे,
‘एक साथ आना शुरुवात है, एक साथ रहना प्रगति है और एक साथ काम करना सफलता है ।’
‘सबसे मुश्किल काम है सोचना, शायद यही कारण है कि इस दुनिया में बहुत कम लोग इसे कर पाते हैं ।’
‘किसी इंसान की महानतम खोजों में से एक, उसके सबसे बड़े आश्चर्य में से एक, यह जानना है कि वह उस काम को कर सकता है, जिसे वह सोचता था कि वह नहीं कर सकता है ।’
दिसंबर १९०८ में ‘टी मॉडल’ का निर्माण हुआ और उसके पहले हर कार अलग बनायी जाती थी, उसकी जगह पर कारों का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ । १९०९ में सिर्फ एक ही वर्ष में फोर्ड ने १०,००० कारों का निर्माण किया । यह किसी जादू से कम नहीं था, क्योंकि इस दुनिया में पहली बार इतने कम समय में १०,००० कारों का उत्पादन हुआ था । इस उपलब्धि से हेनरी फोर्ड को एहसास हुआ कि इस तरीके से कारों का उत्पादन उन्हें और उनकी कंपनी को बेहद सफल बनायेगा और ‘टी मॉडल’ ही वह तकनीक है, जिससे पूरी दुनिया में कारों को बेचा जा सकता है ।
एक दिन कंपनी के लोगों के सामने हेनरी फोर्ड का संबोधन शुरु हुआ, ‘अब इसी टी मॉडल के आधार पर हम आने वाले भविष्य में कारों का बेहद बड़े पैमाने पर उत्पादन करेंगे । फोर्ड कंपनी की सारी कारों का निर्माण इसी मॉडल टी के बुनियाद पर होगा । शायद कुछ लोग मेरी इस बात से सहमत ना हों विशेष रुप से बिक्री संगठन के लोग । मुझे यकीन है कि वे मॉडल टी से भविष्य में होने वाले फायदों को नहीं देख पा रहे हैं ।' और एक आखरी वाक्य के साथ उन्होंने उनका संबोधन पूरा किया और उस संबोधन का वह वाक्य इतिहास में दर्ज हुआ । वह वाक्य था, ‘Any customer can have a car painted any colour that he wants so long as it is black.’ हिंदी अनुवाद: ‘आप कार खरीदते वक्त कार का कोई भी रंग चुन सकते हैं बशर्ते वह रंग काला हो ।’
इस तरह से कारों के उत्पादन में फोर्ड ने इतिहास रचना शुरू किया, साल दर साल कारों की उत्पादन क्षमता बढ़ती गयी और हजारों कारें प्रतिवर्ष से लाखों कारें प्रतिवर्ष तैयार होने लगी । १९०९ में १०,६६० गाड़ियाँ बनकर तैयार हुई । अगले साल लगभग १९,००० गाड़ियों का उत्पादन हुआ । उसके अगले साल १९११ में ३४,८५८ गाड़िया निर्मित हुई । फोर्ड तेजी से गाड़ियों के उत्पादन में लगे हुए थे । १२ साल बाद यानी १९२३ में फोर्ड ने रिकॉर्ड २०,००,००० के आसपास गाड़ियों का उत्पादन किया और १९२४ और १९२५ में भी लगभग उतनी ही गाड़ियाँ बनी । कारों का इतने बड़े पैमाने पर बेहद तेज निर्माण का यह करिश्मा फोर्ड की बदौलत इस दुनिया ने देखा था ।
लगभग १५ सालों तक फोर्ड में एक ही तरह की गाड़ियाँ निर्मित होती रही । इन १५ सालों में कारों में कुछ भी नहीं बदला था, सिर्फ गाड़ियाँ के उत्पादन की संख्या बढ़ती गयी । जैसा कि हेनरी फोर्ड ने कहा था, 'आप कार खरीदते वक्त कोई भी रंग चुन सकते हैं, बशर्ते वह रंग काला हो ', यानी आपको अगर कार खरीदनी हो तो हमारी शर्तों पर खरीदनी पड़ेगी, हम जैसी बनाएंगे वैसे ही कार आपको खरीदनी होगी । इस तरह से हेनरी फोर्ड ने उनका लक्ष्य और लक्ष्य प्राप्ति का रास्ता दोनों ही तय कर दिए थे । आने वाले हर साल के साथ ज्यादा से ज्यादा कारों का निर्माण और सारी कारे लगभग एक जैसी । ‘आप कार खरीदते वक्त कोई भी रंग चुन सकते हैं बशर्ते वह रंग काला हो ।’
दूसरी तरफ कंपनी के सेल्स डिपार्टमेंट के लोग लगातार रिपोर्ट भेजते रहें कि लोगों को नयी डिजाइन और नए फीचर अपेक्षित है पर इन रिपोर्ट्स को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया जाता था । सेल्स डिपार्टमेंट द्वारा भेजी गयी इन सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान बातों को नजरअंदाज कर दिया जाता था । हेनरी फोर्ड ने एक पैटर्न बना लिया था और शायद वह उस पैटर्न में अटक चुके थे ।
इसका परिणाम यह हुआ कि अगले कुछ सालों में गाड़ियों की बिक्री में तेजी से गिरावट दर्ज हुई । आपको ये जानकर हैरानी होगी, १९२५ में जहाँ २०,००,००० गाड़ियों का निर्माण हुआ, १९२७ में सिर्फ और सिर्फ १५००० के आसपास गाड़ियाँ बनी । यानी १९०९ में जहाँ से शुरू किया था, लगभग १०,००० गाड़ियों के निर्माण से १९२७ में फोर्ड फिर से उसी मोड़ पर आकर खड़े थे ।
क्या हम भी हमारे व्यक्तिगत जीवन में कुछ सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान बातों को लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं? क्या हम भी हमारी किसी मानसिक या भावनात्मक पैटर्न में अटक चुके हैं? क्या हम हमारे आसपास लगातार बदलने वाली परिस्थितियों को नजरंदाज कर रहे हैं? क्या हमारे आस-पास जो परिस्थितियाँ हर वक्त बदल रही हैं, उनके साथ खुद को बदलने का प्रयास कर रहे हैं?
सुबह से लेकर शाम तक हम हमारे व्यवसाय, हमारे अधूरे सपने और हमारी चिंताओं में इतने उलझ जाते हैं कि हमें अपने शरीर के द्वारा, मन के द्वारा, आत्मा के द्वारा, भेजी गयी अतिमहत्वपूर्ण और मूल्यवान सूचनाओं को ग्रहण करने के लिए समय नहीं बचता । इसका परिणाम यह होता है कि धीरे-धीरे छोटी और महत्त्वहीन बातें ज़िन्दगी में उलझन खड़ा करने लगती हैं और एक दिन अचानक तेज गिरावट होने लगती है, शरीर टूटने लगता है, मानसिक तौर पर सब कुछ खतम होने का एहसास होने लगता है । हम थक जाते हैं, रुक जाते हैं और टूट जाते हैं । निराशा का अंधेरा गहरा होने लगता है, आशा की किरण लुप्त हो जाती है और स्वर्णिम भविष्य निर्माण का सपना सिर्फ एक कोरी कल्पना प्रतीत होने लगता है ।
अंत में चार सवालों के साथ आपको छोड़कर जाता हूँ, इन सवालों को अपने जेहन में उतरने देना -
१. आपका सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान सपना क्या है?
२. क्या आप अपने सपने को पूरा करने के लिए हर दिन कदम उठा रहे हैं?
३. हर पल आपके आसपास की परिस्थितियाँ बदल रही है, क्या उन परिस्थितियों पर आपकी नजर है?
४. हर पल बदलने वाली परिस्थितियों को ध्यान में रखकर क्या आप खुद को विकसित करने की योजना बना रहे हैं?
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Creator of MBNLP, Founder & CEO of IBHNLP
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Summary:
If you are stuck in your life & searching the answers for the following questions:
How to overcome the feeling that I am stuck in my life? Or what should I do if I am stuck in my life? How do I stop being stuck? What does it mean to be trapped in your mind? What does it mean to be stuck in the past? How to achieve success in life? How to achieve dreams? How to achieve a goal in life?
This blog is for you. If you are passionate enough to live life to its fullest, read this blog. This blog is written by India’s Best Leadership Coach, Leadership Trainer, Life Coach, NLP Master Trainer & a corporate coach Sandip Shirsat.
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